Sunday 7 April 2019

ज़िंदगी का सफ़र


देख जलती चिता को ख्याल दिल में वही पुराना आया
मंज़िल ज़िंदगी की मौत के सिवा कुछ और है ही नहीं
सफर ज़िन्दगी का किसी भी रास्ते से तय कर लो तुम
पर रास्ता कोई मौत के सिवा कहीं और पहुंचता ही नहीं
लाख इंसा ने कर लिए जतन खोज लिए नए कई रास्ते
हासिल क्या जब रास्ता कोई और खुदा ने छोड़ा ही नहीं
अज़ल से सबको पता है आखिरी पड़ाव बस है एक यही
पर दिल है कि ज़िंदा रहने की जिद से मानता ही नहीं
मौत आनी है एक दिन और आ कर ही रहेगी एक दिन
कब कैसे कहां ये खुदा के सिवा किसी को पता ही नहीं
जन्म से मौत तक का है सफ़र बस इतनी सी है ज़िंदगी
जि गया जो ये सफ़र ज़िंदा है वो वर्ना मौत ही है ज़िंदगी

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