Friday 24 December 2010

डर

Picture from google 

एक नया सवेरा होने की आशा, पर रात आने का डर  !
कामयाबी की उम्मीद में एक कोशिश, पर नाकाम होने  का डर !
फ़ूल पाने की आशा में बढ़ता हाथ, पर कांटों की चुभन का डर !
मंजिल की तलाश में उठते कदम, पर मंजिल से भटकने का डर !
ज़िंदगी की राह में हमसफ़र का साथ, पर फ़िर जुदा होने का डर !
मुस्कुराने की एक दबी सी हसरत, पर गमों कि ज़द में आने का डर !
एक आशियां बनाने की लम्बी हसरत, पर ज़लज़ले आने का डर ! 
ज़िंदगी जीने की एक तमन्ना, पर मौत के आने का डर !

12 comments:

  1. डर के आगे जीत


    "मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये

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  2. जीवन के दो पक्ष ही होते हार या जीत . मैदान में उतरने से पहले ही हार के बारे में सोच लेना मनुष्य को दृढ निश्चय से विचलित करती है .

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  3. कमाल की रचना है, बेहतरीन! आपकी कई रचनाएँ आज पढ़ी, अफ़सोस है कि अब तक आप से दूर रहा, ब्लॉग जगत में ऐसी रचनाएँ पढने को कम ही मिलती हैं!

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  4. बंधुवर जगदीश बाली जी
    नमस्कार !

    मन के डर की स्थिति को समर्पित आपकी रचना भी कमाल है …
    सच है, हम सब कितने डर पाले होते हैं ।

    लेकिन , यहां एक पुराना गीत याद आ रहा है -
    जीवन में तू डरना नहीं …
    सर नीचा कभी करना नहीं …
    हिम्मतवाले को मरना नहीं …


    …और अपने गब्बर भाई कहते हैं न -
    जो डर गया … समझो … … … :)

    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  5. aadmi is zindagi men kuchh thaan le agar,
    maut se pahle zindagi,shaam se pahle sahar !

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  6. अधिकतर यही डर हमसे बहुत कुछ सकारात्मक भी करवाता रहता है..

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  7. फ़ूल पाने की आशा में बढ़ता हाथ, पर कांटों की चुभन का डर !
    मंजिल की तलाश में उठते कदम, पर मंजिल से भटकने का डर.

    डरने से डर और डराता है

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  8. डर के बारे में एक नयी सोच और बहुत गहन चिंतन ...आपका बहुत आभार

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  9. बढ़िया रचना है... जीवन के एक पहलू से परिचित करवाया है आपने..
    बधाई एवं आभार

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  10. जगदीश बाली जी
    नमस्कार !
    ..........बहुत गहन चिंतन
    क्रिसमस की बहुत बहुत शुभकामनाये

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  11. चिंतन वाकई गहन है...
    परन्तु यूँ दरेंगें तो जियेंगें कब???
    यूं ही सोचने में उम्र बीत जायेगी...
    हर रात को आना है, आने दीजिये...
    फिक्र किस बात की है...

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  12. बाली जी , बहुत ही सुंदर कविता गहरे जज्बात के साथ .....सच ऐसी आशंकाएं निर्मूल नहीं... सुंदर प्रस्तुति

    फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी

    रमिया काकी

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