Sunday 5 December 2010

शब्द

शब्द के पीछे बहुत से शब्द,
शक्ति असीम शब्द एक एक की !
खूबसूरती को खूबसूरत बनाते शब्द,
वक्त को बदलने की ताकत रखते शब्द !

उद्विग्न मन शीतल करते शब्द,
कुंठाओं को व्यक्त करते शब्द !
शब्द छुपाते ग़म को खुशी में
जीवन की बगिया मह्काते शब्द !

मह्काते शब्द सूने आंगन को,
शब्द देते अकेले मन को संग !
जीवन को मायने देते शब्द,
हंसते हंसाते, रोते रुलाते शब्द !

ज़माने मे क्रांति लाते शब्द,
शब्द बदलते दशा समाज की !
गुलामी को भगाते शब्द,
स्वछन्दता में विचरण कराते शब्द !
एक शब्द फिर मायने इस तरह,
कि शब्दों के पीछे बहुत से शब्द !

पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
जिसमें फलते फूलते शब्द !
रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !
शब्द हो जाते हैं निरर्थक,
गंवाते है जब इन्हें व्यर्थ !

26 comments:

  1. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
    मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !

    prabhavi panktiyan.badhai.

    ReplyDelete
  2. शब्द सब कुछ कहते हैं ..इनकी अपनी भाषा और अपनी संस्कृति होती है ..बहुत अच्छी रचना ...

    ReplyDelete
  3. रचना तो सुन्दर है ही, आपके प्रयास उससे भी अधिक सराहनीय हैं।

    आशा है आप इसी प्रकार लगातार अपने प्रयासों को जारी रखेंगे।

    शुभकामनाओं सहित।

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश

    ReplyDelete
  4. बाली जी......बहुत सुन्दर ये शब्द ना हो तो कुछ भी नहीं ............

    ReplyDelete
  5. bhut sundar shbdon ka gathan kiya hai.......

    ReplyDelete
  6. शब्दों की अपरम्पार महिमा दर्शाती खुबसूरत कविता...

    ReplyDelete
  7. 'shabd' se hi shrishti hai..
    shabd hi bramh hai..
    sunder rachna!

    ReplyDelete
  8. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
    मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !
    शब्द हो जाते हैं निरर्थक,
    गंवाते है जब इन्हें व्यर्थ !
    शब्दों पर सुन्दर शब्द संयोजन। बधाई बाली जी।

    ReplyDelete
  9. आपने तो बहुत सुन्दर लिखा..बधाई.
    'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

    ReplyDelete
  10. सुन्दर शब्द खुबसूरत कविता

    ReplyDelete
  11. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
    मिले न अगर इन्हें जगह अपनी

    सच शब्दों की दुनिया कमाल है..... बेहतरीन प्रस्तुति.....

    ReplyDelete
  12. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
    मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !
    शब्द हो जाते हैं निरर्थक,
    गंवाते है जब इन्हें व्यर्थ !
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    ...कविया की यह पंक्तियाँ सरता सन्देश देती हैं
    मेरे ब्लॉग पर आने .. और टिप्पणी के लिए आपका शुक्रिया ...

    ReplyDelete
  13. rightly said,your work is worth appreciating.
    I also wrote "sab khem shabdon kaa"

    ReplyDelete
  14. Please read khel in place of khem

    ReplyDelete
  15. जगदीश बाली जी
    नमस्कार !
    शब्द की महिमा में अच्छी कविता लिखी है , बधाई !

    शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !


    बहुत सुंदर !

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  16. शब्दों पर आपने एक अच्छी और सार्थक कविता लिखी.
    इसके लिए आपको आभार.

    ReplyDelete
  17. बहुत ही अच्छे शब्दों में शब्दों को बयां किया है आपने.

    सादर

    ReplyDelete
  18. शब्दों पर एक अच्छी और सार्थक कविता
    आभार.
    जगदीश बाली जी नमस्कार ,आपका ब्लॉग और रचनाएँ किसी तारीफ़ का मोहताज नहीं है अत : आप किसी से फोलो करने का आग्रह मत कीजिये फोलोअर अपने आप आजायेंगे यह मेरी व्यक्तिगत सलाह है |

    ReplyDelete
  19. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    ... bahut khoob ... shaandaar rachanaa !!!

    ReplyDelete
  20. पर शब्दों की है संस्कृति अपनी,
    जिसमें फलते फूलते शब्द !
    रुठ जाते, सूख जाते हैं शब्द,
    मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !
    शब्द हो जाते हैं निरर्थक,
    गंवाते है जब इन्हें व्यर्थ

    वाकई शब्दों और विचारों का सुंदर संयोजन

    http://veenakesur.blogspot.com/

    ReplyDelete
  21. मिले न अगर इन्हें जगह अपनी !
    शब्द हो जाते हैं निरर्थक,
    गंवाते है जब इन्हें व्यर्थ ! //
    a true definition of words//
    http://babanpandey.blogspot.com

    ReplyDelete
  22. बहुत अहम होते हैं शब्द ..पूरी कायनात को बदलने की ताक़त लिए.
    बहुत सुन्दर रचना .
    मेरे ब्लॉग पर पधारने का बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

    ReplyDelete