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एक नया सवेरा होने की आशा, पर रात आने का डर !
कामयाबी की उम्मीद में एक कोशिश, पर नाकाम होने का डर !
फ़ूल पाने की आशा में बढ़ता हाथ, पर कांटों की चुभन का डर !
मंजिल की तलाश में उठते कदम, पर मंजिल से भटकने का डर !
ज़िंदगी की राह में हमसफ़र का साथ, पर फ़िर जुदा होने का डर !
मुस्कुराने की एक दबी सी हसरत, पर गमों कि ज़द में आने का डर !
एक आशियां बनाने की लम्बी हसरत, पर ज़लज़ले आने का डर !
ज़िंदगी जीने की एक तमन्ना, पर मौत के आने का डर !
डर के आगे जीत
ReplyDelete"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये
जीवन के दो पक्ष ही होते हार या जीत . मैदान में उतरने से पहले ही हार के बारे में सोच लेना मनुष्य को दृढ निश्चय से विचलित करती है .
ReplyDeleteकमाल की रचना है, बेहतरीन! आपकी कई रचनाएँ आज पढ़ी, अफ़सोस है कि अब तक आप से दूर रहा, ब्लॉग जगत में ऐसी रचनाएँ पढने को कम ही मिलती हैं!
ReplyDeleteबंधुवर जगदीश बाली जी
ReplyDeleteनमस्कार !
मन के डर की स्थिति को समर्पित आपकी रचना भी कमाल है …
सच है, हम सब कितने डर पाले होते हैं ।
लेकिन , यहां एक पुराना गीत याद आ रहा है -
जीवन में तू डरना नहीं …
सर नीचा कभी करना नहीं …
हिम्मतवाले को मरना नहीं …
…और अपने गब्बर भाई कहते हैं न -
जो डर गया … समझो … … … :)
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
aadmi is zindagi men kuchh thaan le agar,
ReplyDeletemaut se pahle zindagi,shaam se pahle sahar !
अधिकतर यही डर हमसे बहुत कुछ सकारात्मक भी करवाता रहता है..
ReplyDeleteफ़ूल पाने की आशा में बढ़ता हाथ, पर कांटों की चुभन का डर !
ReplyDeleteमंजिल की तलाश में उठते कदम, पर मंजिल से भटकने का डर.
डरने से डर और डराता है
डर के बारे में एक नयी सोच और बहुत गहन चिंतन ...आपका बहुत आभार
ReplyDeleteबढ़िया रचना है... जीवन के एक पहलू से परिचित करवाया है आपने..
ReplyDeleteबधाई एवं आभार
जगदीश बाली जी
ReplyDeleteनमस्कार !
..........बहुत गहन चिंतन
क्रिसमस की बहुत बहुत शुभकामनाये
चिंतन वाकई गहन है...
ReplyDeleteपरन्तु यूँ दरेंगें तो जियेंगें कब???
यूं ही सोचने में उम्र बीत जायेगी...
हर रात को आना है, आने दीजिये...
फिक्र किस बात की है...
बाली जी , बहुत ही सुंदर कविता गहरे जज्बात के साथ .....सच ऐसी आशंकाएं निर्मूल नहीं... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी