Saturday, 16 July 2011

अब काले में दाल है

पहले था दाल में काला, अब काले में दाल है !
फ़िर भी दुनियां चल रही है मुझे यही मलाल है !

Monday, 4 July 2011

ज़माना

समाज में तीन तरह के लोग होते हैं- ब्यवस्था के साथ चलने वाले, ब्यवस्था से हट कर चलने वाले, ब्यवस्था के विरुद्ध चलने वाले ! मैं चौथी किस्म का आदमी हूं, रहता ज़माने मै हूं पर ज़माने को बदलने की चेष्ठा रखता हूं ! क्योंकि :

Sunday, 20 February 2011

बेजान ख़ामोशी

र्तमान परिदृष्य का  अवलोकन करें तो भ्रष्टाचार पर काफी कुछ  लिखा जा रहा है , काफी कुछ  कहा जा रहा है, लेकिन स्थिति जस की तस है !नित ऐसे ऐसे घोटाले सामने आ रहे हैं कि एक अच्छी और ईमानदार सोच रखने वाले  हतप्रभ रह जाते हैं ! जहां एक रुपए  का हिसाब न मिलने पर हमारी  नींद हराम हो जाती है , वहीँ अरबों  का माल गटकने  वाले  इतना माल गटकने पर भी डकार नहीं लेते !

लोग टूट जाते हैं